मंगलवार 18 मार्च 2025 - 05:21
रोज़े के अहकाम । यात्रियों के लिए रमज़ान के महीने में सार्वजनिक स्थानों पर खाने-पीने का हुक्म

हौज़ा/ फ़िक़्ह और शरई अहकाम के प्रोफेसर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन वहीदपुर ने रमजान के पवित्र महीने के अहकाम की व्याख्या की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, धार्मिक विद्वान हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन वहीदपुर ने रमजान के पवित्र महीने के लिए धार्मिक नियमों की व्याख्या की है। शरिया मुद्दों में रुचि रखने वालों के लिए यहां इनकी व्याख्या की जा रही है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

जो लोग यात्रा करते हैं और वहां 10 दिन तक रुकने का इरादा नहीं रखते हैं, उनका रोज़ा क़स्र हो जाएगा, लेकिन वे रमजान के महीने के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर खा या पी नहीं सकते हैं।

ये लोग अपना रोज़ा क़स्र कर लेंगे और इसमें उन पर कोई गुनाह नहीं है, लेकिन वे सार्वजनिक रूप से रोज़ा नहीं रख सकते। इसलिए यात्री को ऐसे स्थान पर खाना-पीना चाहिए जो आम लोगों की नजरों से छिपा हो।

रिवायतो में इस बात पर जोर दिया गया है कि रमजान के महीने में सार्वजनिक स्थानों पर खाना या पीना नहीं चाहिए। शासक सार्वजनिक स्थान पर खाने-पीने वाले व्यक्ति को धार्मिक चेतावनी (ताज़ीर) भी जारी कर सकता है। लोगों को अपने बच्चों को भी रमजान के महीने के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर न खाने-पीने की शिक्षा देनी चाहिए, भले ही वे अभी धार्मिक विवेक की उम्र तक नहीं पहुंचे हों (अर्थात बालिग न हुए हो)।

यह याद रखना चाहिए कि यह बात केवल यात्रियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन अन्य लोगों पर भी लागू होती है जो यात्री नहीं हैं, लेकिन धार्मिक बहाने (बीमारी आदि) के कारण रोज़ा नहीं रख सकते, इसलिए वे भी सार्वजनिक रूप से खा या पी नहीं सकते। उनसे रमजान के पवित्र महीने का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है।

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